शनिवार, 17 अक्टूबर 2015

विकलांगता एक परिचय

परिचय (Introduction)

 जब व्यक्ति में शारीरिक, मानसिक एवं भावनात्मक रूप से कोई रोग न हो और वह उपस्थित वातावरण में अपने आप को समायोजित कर लेता है तो वह एक स्वास्थ्य प्राणी कहलाता है
। इस संदर्भ में स्वास्थ्य को इस प्रकार परिभाषित किया गया है-
"स्वास्थ्य सम्पूर्ण शारीरिक, मानसिक और सामाजिक कल्याण की स्थिती है, रोग या अशक्तता की अनुपस्थिती मात्र नहीं है।"

विश्व स्वास्थ्य संगठन (1980):-क्षति, अक्षमता, एवं विकलांगता के विषय में सबसे पहले क्षति ,अक्षमता , एवं विकलांगता के अंतर्राष्ट्रीय वर्गीकरण में प्रकाशित किया। इसका मुख्य उद्देश्य था क्षति , अक्षमता एवं विकलांगता की संकल्पना , परिभाषा एवं इनके बीच आपसी समबन्ध को बताना।

बीमारी (Ddisease)

   जब कोई व्यक्ति शारीरिक स्थिति अथवा मानसिक मानदंडों के अनुसार ठीक न हो तो वह शारीरिक या मानसिक रुग्ण माना जाता है। इसे दूसरे शब्दों में बीमार भी कहा जाता है।

क्षति (Impairment)
   
व्यक्ति की शरीरिक स्थिति में किसी भी प्रकार का दुराव क्षति को दर्शाता है।

विश्व स्वाथ्य संगठन के अनुसार- "क्षति शारीरिक संरचना , मनोशारीरिक अथवा शारीरिक क्रियाओं की कमी या असमान्यता होती है।"

अक्षमता (Disability)
   
मानव शारीर एवं मस्तिष्क जितनी क्षमता अन्य किसी भी प्राणी में नहीं है। अतः अक्षमता जानने के लिए क्षमता की जानकारी होना जरुरी है । मानव शारीर के किसी भी अंग , तन्त्रिका तंत्र अथवा मस्तिष्कीय भाग के क्षति ग्रस्त होने से उससे सम्बंधित क्रियाओं में अक्षमता आ जाती है तथा सामाजिक परिप्रेक्ष्य में शारीरिक या मानसिक सीमितता आ जाती है। ये जन्म जात नहीं होती वरन इससे व्यक्तिगत वन सामाजिक क्रियात्मक जिम्मेदारी को निभाने में असमर्थता आ जाती है अर्थात अक्षमता व्यक्ति के पूरे शरीर की कार्य क्षमता की कमी से सम्बंधित है।
    International classification of impairment, disabilities and handicapped के अनुसार "जब किसी कार्य को करने के तरीके में सामान्य व्यक्ति जैसी क्रिया नहीं दिखती अर्थात कार्य करने में बाधा या क्षति पहुंचाती है। अक्षमता को विश्व स्वाथ्य संगठन ने इस प्रकार परिभाषित किया है। "अक्षमता मनोवैज्ञानिक ,संवेगात्मक, या शारीर के किसी अंग की क्षति होती है।"
विकलांगता (Handicapped)
   
विकलांगता वयक्ति की भौतिक, शारीरिक और मानसिक स्थितियों के साथ-साथ उससे सम्बंधित क्रिया कलापों से उत्पन्न एक प्रकार का सामजिक स्वरूपता है जिसका आकलन व्यक्ति के मनोसामाजिक परिस्थितियों पर निर्भर करता है। जो स्थान, समय, परिस्थिति तथा सामाजिक भूमिका से भी सम्बंधित हो सकती है। अर्थात विकलांगता व्यक्ति की वह दशा है जो क्षति एवं अक्षमता के कारण उत्पन्न शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं सम्बंधित भूमिकाओं को सामान्य व्यक्तियो की तुलना में करने में बाधक होती है। अतः विकलांगता का सामाजिक स्वरूप वातावरण को परिलक्षित करता है।
 International classification of Impairment, Disability and Handicapped के अनुसार - "व्यक्ति में उम्र, लिंग, सामाजिक, सांस्कृतिक कारकों में क्षति एवं अक्षमता के कारण जो नुकसान या पिछड़ापन हो जाता है, उसे विकलांगता कहते हैं।" इसमें व्यक्ति की स्थिति एवं सामाजिक क्रियाएं बाधित हो जाती है, जैसे- एक व्हील चेयर के योग्य व्यक्ति सीढ़ी नहीं चढ़ पाता है विकलांग कहलाता है।

स्रोत:- विशेष शिक्षा एवं पुनर्वास ;डॉ0 ए0 जोसफ
लेखक- दानवीर गौतम

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें